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Zero Budget Natural Farming: सतत कृषि की ओर एक नया कदम ZBNF

आज के दौर में जब रासायनिक खेती पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही है और किसानों की आजीविका को खतरे में डाल रही है, ऐसे में शून्य बजट प्राकृतिक खेती (ZBNF) एक समग्र समाधान के रूप में उभर कर आई है। भारतीय कृषि वैज्ञानिक सुभाष पालेकर द्वारा विकसित यह विधि किसानों को बिना महंगे बाहरी इनपुट जैसे कि उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग के, प्राकृतिक संसाधनों के माध्यम से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती है। ZBNF के अंतर्गत भूमि की उर्वरता और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए खेत में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है।

ZBNF के चार प्रमुख सिद्धांत हैं: बीजामृत, जीवामृत, मल्चिंग और वाफ़सा। आइए इन तकनीकों को विस्तार से समझते हैं और देखते हैं कि ये सतत कृषि प्रणाली में कैसे योगदान देती हैं।

1. बीजामृत: बीजों को प्राकृतिक संरक्षण
बीजामृत एक प्राकृतिक घोल है जिसका उपयोग बीजों को बोने से पहले किया जाता है। यह घोल **गाय का गोबर, गोमूत्र, और चुना** मिलाकर बनाया जाता है। बीजामृत का उपयोग बीजों को मिट्टी और बीज जनित रोगों से बचाने के लिए किया जाता है। यह प्राचीन पद्धति न केवल बीजों के अंकुरण को बेहतर बनाती है, बल्कि पौधों को शुरूआती विकास के समय रोगों और कीटों से लड़ने की प्राकृतिक क्षमता भी प्रदान करती है। ZBNF में बीजामृत का उपयोग स्वस्थ और मजबूत पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

2. जीवामृत: मिट्टी के लिए जीवन का अमृत
ZBNF की मूलभूत धारणाओं में से एक है मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना, और जीवामृत एक शक्तिशाली जैविक उर्वरक है जो मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता को बढ़ावा देता है। यह घोल **गाय का गोबर, गोमूत्र, गुड़, दाल का आटा और पानी** मिलाकर तैयार किया जाता है। जीवामृत मिट्टी में नाइट्रोजन को ठीक करने वाले और कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने वाले लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाता है। यह किसानों को रासायनिक उर्वरकों से मुक्त करता है और फसल उत्पादन में सहायक होता है।

3. मल्चिंग: प्राकृतिक रूप से मिट्टी की सुरक्षा
मल्चिंग का अर्थ है कि मिट्टी को जैविक पदार्थों जैसे कि **फसल अवशेष, सूखे पत्ते, या घास** से ढकना। यह परत मिट्टी को कटाव से बचाती है, खरपतवारों को रोकती है, नमी बनाए रखती है और तापमान को नियंत्रित करती है। मल्चिंग से मिट्टी में नमी और पोषक तत्वों की कमी नहीं होती, जिससे पौधों की जड़ें अधिक अच्छी तरह से विकसित हो पाती हैं। इसके अलावा, जैविक पदार्थ के विघटन से मिट्टी में अतिरिक्त पोषक तत्व मिलते रहते हैं, जो पौधों के लिए लंबे समय तक लाभकारी होते हैं।

4. वाफ़सा: नमी और वायु का संतुलन
ZBNF में मिट्टी में नमी और वायु के सही संतुलन को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है, जिसे **वाफ़सा** कहा जाता है। इस सिद्धांत के तहत मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है, लेकिन साथ ही उसे ऑक्सीजन भी मिलती रहती है। पारंपरिक खेती में अत्यधिक सिंचाई से पौधों की जड़ें पानी में डूब सकती हैं, जिससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। वाफ़सा के जरिए किसान मिट्टी को हवादार रखते हुए पौधों के लिए एक आदर्श वातावरण तैयार करते हैं, जिससे स्वस्थ जड़ विकास और बेहतर फसल उत्पादन संभव हो पाता है।

शून्य बजट खेती के फायदे
ZBNF की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह **लागत में बेहद कम** होती है। किसानों को महंगे इनपुट्स जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक या संकर बीजों पर निर्भर नहीं होना पड़ता। इसके बजाय, वे अपने खेत में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हैं, जिससे खेती की लागत लगभग शून्य हो जाती है और वे जैविक फसलें उगा सकते हैं। ZBNF विविध फसलों और पारंपरिक कृषि प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है, जिससे खेती में जैव विविधता बढ़ती है और खेत की उत्पादकता भी बढ़ती है।

निष्कर्ष: पुनर्योजी कृषि की ओर एक कदम 
शून्य बजट प्राकृतिक खेती केवल एक खेती की तकनीक नहीं है; यह प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में एक आंदोलन है। मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने, पानी की खपत को कम करने और रसायनों पर निर्भरता को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ZBNF किसानों के लिए एक स्थायी और दीर्घकालिक समाधान प्रदान करता है। यह भूमि को पुनः जीवित करता है, प्राकृतिक रूप से पौधों को पोषण देता है, और किसानों को कर्ज के जाल से मुक्त करता है जो महंगे कृषि इनपुट्स से जुड़ा हुआ है।

जो लोग प्रकृति के साथ फिर से जुड़ने और हमारी धरती के संसाधनों की रक्षा करने में विश्वास करते हैं, उनके लिए ZBNF कृषि के भविष्य की दिशा में आशा की किरण है।

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